भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 30
(सम्मति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सदभावपूर्वक पूर्वक किया गया कार्य)
कोई बात जो किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सदभावपूर्वक यद्यपि, उसकी सम्मति के बिना की गई है ऐसी किसी अपहानि के कारण जो उस बात से उस व्यक्ति को कारित हो जाए अपराध नही है, यदि परिस्थितिया ऐसी हो की उस उस व्यक्ति के लिए यह असंभव हो की वह अपनी सम्मति प्रकट करे या वह व्यक्ति सम्मति देने के लिए असमर्थ हो और उसका कोई संरक्षक या उसका विधिपूर्ण भारसाधक कोई दूसरा व्यक्ति न हो जिससे ऐसे समय पर सम्मति अभिप्राप्त करना संभव हो कि वह बात फायदे के साथ की जा सके।
परन्तु -
(क)- इस अपवाद का विस्तार साशय मृत्यु कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा
(ख)- इस अपवाद का विस्तार मृत्यु या घोर उपहति के निवारण के या किसी घोर रोग या अंग- शैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए किसी ऐसी बात के करने पर न होगा जिसे करने वाला व्यक्ति जानता हो कि उससे मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है
(ग)- इस अपवाद का विस्तार मृत्यु या उपहति के निवारण के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा
(घ)- इस अपवाद का विस्तार किसी ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण पर न होगा जिस अपराध के किए जाने पर इसका विस्तार नहीं है।
उदाहरण- (1) राम अपने घोड़े से गिर गया और मूर्छित (बेहोश होना) हो गया नीरज एक शल्य चिकित्सक का यह विचार है कि राम के कपाल (मस्तक) पर शल्य- क्रिया आवश्यक है नीरज, राम की मृत्यु करने का आशय न रखते हुए किन्तु सदभावपूर्वक राम के फायदे के लिए राम के स्वयं किसी निर्णय पर पहुँचने की
शक्ति प्राप्त करने से पूर्व ही कपाल (मस्तक) पर शल्य- क्रिया करता है नीरज ने कोई अपराध नही किया।
(2) दिनेश को एक बाघ उठा ले जाता है यह जानते हुए की सम्भाव्य है कि गोली लगने से पंकज मर जाए किन्तु दिनेश का वध करने का आशय न रखते हुए और सदभावपूर्वक दिनेश के फायदे के आशय से पंकज उस बाघ पर गोली चलाता है। पंकज की गोली से दिनेश को मृत्युकारक घाव हो जाता है पंकज ने कोई अपराध नही किया।
(3) शीतल एक शल्य चिकित्सक, यह देखता है कि एक बालक कि ऐसी दुर्घटना हो गई हैं जिसका प्राणांतक साबित होना संभाव्य है यदि शस्त्रकर्म तुरंत न कर दिया जाय इतना समय नही है कि उस बालक के संरक्षक से आवेदन किया जा सके शीतल सदभावपूर्वक बालक के फायदे का आशय रख़ते हुए बालक के अन्यथा अनुनय करने पर भी शस्त्रकर्म करता है शीतल ने कोई अपराध नही किया है।
(4) एक बालक मोहन के साथ दिनेश एक जलते हुए घर की छत मे है घर के नीचे लोग एक कम्बल तान लेते है दिनेश उस बालक को यह जानते हूए कि सम्भाव्य है कि गिरने से वह बालक मर जाए किन्तु उस बालक को मार डालने का आशय न रखते हुए और सदभावपूर्वक उस बालक के फायदे के आशय से घर- छत पर से नीचे गिरा देता है यहां यदि गिरने से वह बालक मर भी जाता है तो भी दिनेश ने कोई अपराध नही किया
व्याख्या- केवल धन संबंधी फायदा वह फायदा नहीं हैं जो धारा 26, धारा 27 और इस धारा के अर्थान्तर्गत आता हैं
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(IPC) की धारा 92 को (BNS) की धारा 30 में बदल दिया गया है। |